Tuesday, November 3, 2009

एक रात सपने में मिले सद्दाम

फाइव स्टार होटल के गलियारे में सिगार सुलगाते हुए

वे स्वस्थ थे, जैसे कैद से पहले आजाद इराक में थे

इराक अब नहीं था उनकी जुबान पर

अब वह एक पर्यटक थे

उन्होंने कहा - हम सितारों में हैं - आज यहाँ कल वहां

कौन रोक सकता है हमें ???

उन्होंने मेजबानों की फेहरिस्त दिखाई

और उडानों के टिकेट भी

होगा कहीं इराक सिगार के धुएँ में

सपने में सद्दाम कहीं और का सपना देख रहे थे !

निशांत, २००३

राष्ट्रवाद एक छाता है

राष्ट्रवाद एक छाता है
किल कमानियों पर कसा
आंधी और बूंदों से थरथराता

कई बरसातों तक चल जाती है
उसकी यह संरचना

एक नहीं कई जमातों को बचाती या कि
वंचित रखती नैसर्गिक बूंदाबांदी से
सवाल तब उठता है जब बरसात न हो
और धूप नरम हो ----
निशांत, दिल्ली २००३