Sunday, October 31, 2010

कैसे पलटेगी यह आंधी

इस तरह शहर फैल रहा है। किराएदारों के घर बन रहे हैं। और घरवाले दनादन दूसरे घरों में निवेश कर रहे हैं। भोपाल से नया भोपाल और अब नए भोपाल का विस्‍तार आस पास की हरियाली, को रौंदता हुआ चारों दिशाओं में फैल रहा है। खेतों में रोड़े डाले जा रहे हैं । देश दिल्‍ली, मुंबई की तरफ दौड़ रहा रहा है और प्रदेश भोपाल की तरफ ..... कैसे पलटेगी यह आंधी ?

1 comment:

  1. फिर अपना एक ठो घर नहीं बना भाई साब।

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