Thursday, November 25, 2010

बॉस का पराठा

.... एक ही डेस्‍क पर चार लोग काम करते हैं। एक बॉस,तीन शागिर्द। दो पुराने हैं, नियमित हैं, एक नया। भोजन का समय है । अखबार का दफ्तर है, काम का दबाव है। इसलिए काम करते हुए भोजन का काम भी कर लेना है। भोजन का समय तय नहीं है। बॉस को जब भूख लगे वही भोजन का समय है। ऐसे मौके पर वह जेब में रखे रोल किए हुए पराठे निकालते हैं। घर से ही ऐसी तैयारी करके आना पड़ता है। समय इतना कीमती है कि टिफिन खोलने और पराठे में सब्‍जी लपेटने में जाया नहीं होना चाहिए, प्रबंधन का नया गुर है।

बॉस काम और भोजन में इस तरह तन्‍मय होते हैं कि उन्‍हें दूसरे की माजूदगी का पता नहीं चलता। ऐसा देखा गया है कि कभी-कभी बॉस परिचित स्‍थाई शागिर्दों के साथ तो पराठा शेयर कर लेते हैं। शेयर करना इस बात का संकेत है कि बॉस काम से खुश हैं। लेकिन नए व्‍यक्ति को इस बात का अंदाजा नहीं लग पाता क्‍योंकि वह इस शेयरिंग का भागीदार नहीं बन पाता। क्‍या वह उस जगह में मौजूद नही हो पाया है ......

शेयर कर या न करे। लेकिन इतना लोक व्‍यवहार होना ही चाहिए कि सामने वाले से एक बार पूछ लें। या इतना ही कि भोजन का समय हो गया, तुम भी भोजन कर लो। लेकन ऐसा नहीं होता। ऐसा कैसे हो सकता है। इस तरह से कोई सोच भी कैसे सकता है। सोचने में भी अटपटा ....भाईसाब कुछ उद्विग्‍न से लग रहे थे।

....सोचिए जरा, अखबार के दफ्तर में ऐसा होता था। कैसे पत्रकार होंगे वे। कैसा दफ्तर होगा वह। ट्रेन की यात्राओं में भी अगर आदमी अपनी रोटी निकालता है तो एक बार बगलवाले से पूछ लेता है- आइए रोटी खाते हैं। यह अलग बात है कि वह आता है या नहीं। लेकिन आप लोगों के सामने बैठकर बिना दाएं-बाएं भोजन कैसे कर सकते हैं।परिचितों से नहीं पूछो तब भी चलता है, लेकिन जब एक नया व्‍यक्ति आपके समूह में आकर बैठा है तो उसे कैसे अनदेखा कर सकते हैं ?

दिक्‍कत क्‍या है आप अपनी रोटी अपने समय से खा लीजिए, वह अपनी खाएगा। इसमें इतना सेंटी होने की क्‍या बात है ?

इसमें सेंटी होने की बात नहीं है बंधु, चिंता इस असंवेदनशीलता और क्रूरता के बीज पड़ने की है। ऐसा भी कहीं हो रहा है या होता है, यहा सोच पाना कठिन है। कहीं आपके पास ऐसा तो शुरू नहीं हो रहा ?

1 comment:

  1. Sir bahut badhiya hai samvedanshilta toh kam hoti hi ja rahi par sayad kaam ka swabhav v kuch aisa hai...sir apko bahut bar aise mauke milenge jab khabrein nahi hongi aur agar kisi bade accident ki khabar aa jaye jisme 10 log mar gaye toh aap khush ho jayenge ki chalo tension khatam jitne log mare utni badi khabar...ye v sochte hain yaar koi darnak photo aa jati toh maja aa jata...khabar mein jaan aa jati toh, jo v karan ho galat toh hai par kuch kam ke nature par v nirbhar karta hai...sir apki bayan mein flow lekin bahut accha hai..

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