कहाजाता है न कि हर लेखक की शुरुआत कविता से होती है। मेरा यह मानना है कि लिखने और पढ़ने की ओर आकर्षण बिना कविता के हो ही नहीं सकता। बचपन में हम सभी के कानों में अपनी मातृबोलियों और भाषाओं के गीत ही पड़े होंगे। कुछ के यहां बहुत सुघढ़ रूप और अंदाज में और कुछ के यहां अनगढ़, अस्पष्ट अंदाज में। शायद यही कारण है कि हम भी जब बोलने, अभिव्यक्त करने लायक होते हैं तो वही सुर ताल पकड़ने की काशिश करते हैं।
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में (संभवत: अब रीडर होंगी) डॉ चंद्रकला त्रिपाठी की एक नन्हीं सी कविता के भावार्थ आज भी कानों में गूंजते रहते हैं ' बच्चे जैसे जैसे बड़े होते हैं हंसना भूल जाते हैं ---
हंसना, सिर्फ एक अभिव्यक्ति नहीं है वह कविता की तरह है। बहरहाल अभी हम हंसने और रोने पर विचार नहीं कर रहे हैं। कहना यह है कि हम सब की शुरुआत कविता और गीत से होती है। कुछ लोग इस माध्यम को ईश्वर की नेमत मान अपना लेते हैं और कुछ लोग समय और समाज के दबाव में उससे किनारा कर लेते हैं। कुछ लोग इस तलाश में रह जाते हैं कि कविता है क्या चीज और इस खोज में कविताएं लिखते जाते हैं । पता नहीं कविता के शिखर चूमने के बाद भी वे कविता को परिभाषित कर पाते हैं या नहीं। अपन किनारा कर चुके लोगों में से हैं।
कवियों की संगत में कविता खोजता हुआ, कविता को पहचानने की कोशिश करता हुआ मैं भी दो चार पंक्तियां लिखने की कोशिश कर लिया करता था। मेरे यहां कविता का लंबा अकाल आता रहा है। इस भय से कि पता नहीं कवि लोग इसे कविता मानेंगे या नहीं कभी सुनाने का साहस नहीं हुआ। पोथी में धरे धरे अब उन पर जंग लग रही है (चाहें तो सुविधा के अनुसार उन्हे दीमक चाट रहे हैं भी कह सकते हैं )। बहरहाल,कविता के पहले बसंत की कुछ कविताएं जैसे जैसे मिलती जाएंगी यहां साया करने की कोशिश करूंगा। उन दिनों हमारी टोली भी हुआ करती थी (जैसे तमाम स्वप्नजीवी युवाओं की होती है) कविता, पेंटिंग,नुक्कड़ नाटक और जाने क्या क्या और 'समाधान' नाम की इस टोली में इस कवि को निशांत के नाम से जाना जाता था। कुछ ही दिन पहले विश्वविद्यालय छोड़ने के लगभग 14 साल बाद परिसर में लौटा तो जैसे बहुत कुछ ताजा हो गया। फिलहाल पेश है यह कविता...
...जिजीविषा...
जब से जन्मा हूं
तलाशता रहा हूं छांव
जहां रोप सकूं अपने पांव
जहां आती हो धूप
जीने भर
जहां मिलता हो प्यार
सीने भर
- निशांत, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय 1990
बहुत खूब और कम शब्दों की गहरी कविता है.
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