Tuesday, November 3, 2009

राष्ट्रवाद एक छाता है

राष्ट्रवाद एक छाता है
किल कमानियों पर कसा
आंधी और बूंदों से थरथराता

कई बरसातों तक चल जाती है
उसकी यह संरचना

एक नहीं कई जमातों को बचाती या कि
वंचित रखती नैसर्गिक बूंदाबांदी से
सवाल तब उठता है जब बरसात न हो
और धूप नरम हो ----
निशांत, दिल्ली २००३

1 comment:

  1. रास्ट्रवाद संकट-काल की उपज
    होता है | अपने छाते के रूपक में
    बढ़िया कोशिश की है |
    धन्यवाद्...

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