Thursday, April 26, 2007

अपनी बात

संगत में आपका स्‍वागत है। पहली पोस्‍ट की भाषा आपकी समझ में नहीं आयी होगी। माफ कीजिएगा। वह इसलिए कि लिखा तो हिन्‍दी में था लेकिन उसे उसी रूप में अपलोड कैसे किया जाए यह जानकारी नहीं थी। अपन करते हुए सीखने की धारा में विश्‍वास रखते हैं। अपने मित्र अविनाश को धन्‍यवाद देना चा‍हता हूं जिनके सौजन्‍य से अब से हम हिन्‍दी में बात कर सकते हैं। मेरी कोशिश होगी कि अपने अनुभवों से आपको रू ब रू करा सकूं। मैं जो सोचता समझता हूं वह आपके साथ साझा कर सकूं।
लाल बहादुर

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