Sunday, November 21, 2010

अच्‍छे लोग

4 बजकर 20 मिनट हुए हैं
आसमान में बादल हैं
सूरज कुछ फीका

अच्‍छे लोगों की बैठक में
अच्‍छे लोग गले मिल रहे है

बैठक से जाते हुए
एक अच्‍छे आदमी ने
दूसरे के बारे में कहा कि
...... वह अच्‍छा नहीं है

दूसरे आदमी को भी पहले आदमी के बारे में
ठीक यही कहते हुए सुना गया

बैठक से पहले भी
दूसरे देश, काल, परिस्थिति में
उन्‍होंने एक दूसरे के बारे में ऐसा ही कहा था

अच्‍छे लोगों की आंखों में चमक है
आर्किमिडीज़ की तरह
वे मुस्‍कुराते हुए बता रहे हैं कि
अच्‍छे लोग ऐसे ही होते हैं

अच्‍छे लोग बता रहे हैं
इस तरह बनती है अच्‍छी दुनिया
जिसमें हमें रहना है ।

निशांत

4 comments:

  1. अच्‍छे लोगों पर बुरे लोगों की कविता पढ़कर अच्‍छा लगा।

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  2. bahut umda ......?????

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